आज़ादी के पहले से काम कर रही भारतीय राजनीति में अब कुछ प्रभावी बदलाव की जरूरत है। राजनीति और राजनीतिक नेता अब नीरस हो गए हैं |
राजनीति में युवा, वो आशा की नई किरण है, जिसने हमारे देश के राजनीतिक अवस्था को सुधारने के लिए जन्म लिया है।
18 से 35 वर्ष की आयु के लोगों की राजनीतिक भागीदारी देश के लिए अनेक बार एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हुई है।
राजनीति में युवाओं को आगे की पंक्ति में रखने की सख्त जरूरत है ताकि नई धारणाएं और विचार सामने आ सकें।
जेजेपी ने अपने युवा सदस्यों को हमेशा संसद में आगे रखा है जो सभी चर्चाओं और मुद्दों में सबसे सक्रिय भागीदार रहें हैं। हमारे हरियाणा राज्य के उप मुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला जी खुद ही 26 साल की उम्र में ही लोकसभा सांसद के सबसे कम उम्र के सदस्य बनने में सफल रहे |
चूंकि युवाओं ने हाल ही में खुद गरीबी,अशिक्षा,भेदभाव और सीमित रोजगार का सामना किया होता है, संभावनाएं ज़्यादा होती हैं की वे आम जनता की समस्याएं बेहतर समझ पाएं |
जब युवा लोगों को मताधिकार से वंचित किया जाता है या राजनीतिक प्रक्रियाओं से अलग कर दिया जाता है, तो आबादी के एक अहम हिस्से के जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों मे ये एक रुकावट से काम नहीं है |
अब राजनीति की डोर देश के सक्षम युवाओं के हाथ में सौंप देनी चाहिए। वे नए विचारों के साथ एक ताजा चेहरा भी हैं।